वायस ऑफ पानीपत (सोनम गुप्ता):- पंजाब एंव हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा व पंजाब की जेलों में मेडिकल स्टाफ की कमी के चलते कैदियों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे प्रभाव पर कड़ा रुख अपनाया है। हाई कोर्ट ने हरियाणा व पंजाब सरकारों को आदेश दिया है कि वह 19 फरवरी तक हाई कोर्ट में स्टेट्स रिपोर्ट दायर कर यह बताएं कि जेलों में मेडिकल ऑफिसर के पद भरने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं..
इसके साथ ही हाई कोर्ट ने हरियाणा व पंजाब सरकारों को अगली सुनवाई पर डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ के रिक्त पदों का ब्यौरा सौंपने का भी आदेश दिया है.. दोनों राज्य सरकारों को यह भी यह भी बताना होगा कि इन पदों का ब्यौरा सौंपने का भी आदेश दिया है। दोनों राज्य सरकारों को यह भी बताना होगा कि इन पदों को भरने को लेकर सरकार की क्या योजना है। पंजाब की जेल में एक कैदी की मौत का मामला पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के समक्ष पहुंचा था…
इस मामले का संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने सुनवाई आरंभ की थी.. पिछली सुनवाई पर सिंगल बेंच के समक्ष बताया गया.. कि इसी खड़पीठ के समक्ष भी विचाराधीन है.. और ऐसे में जस्टिस विनोद भारद्वाज ने यह केस मुख्य न्यायाधीश को रेफर कर दिया था..
सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि पंजाब की जेलों में सर्वे के दौरान 43 प्रतिशत मरीज हेपेटाइटिस सी के शिकार पाए गए थे। इस पर हाई कोर्ट ने चिंता जताते हुए हरियाणा व पंजाब सरकारों को हलफनामा दाखिल कर यह बताने का आदेश दिया कि हेपेटाइटिस सी के रोगियों का किस प्रकार इलाज किया जा रहा है..
बेंच ने पूर्व में हरियाणा सरकार की ओर से सौंपे गए हलफनामे का अध्ययन किया। इसमें कोर्ट ने पाया कि जेल में 80 प्रतिशत मेडिकल स्टाफ के पद रिक्त पड़े हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि जेल में कैदियों को स्वास्थ्य सेवाएं मिलनी अनिवार्य हैं और उन्हें इससे वंचित नहीं रखा जा सकता। ऐसे में अगली सुनवाई पर हरियाणा व पंजाब सरकारें बताएं कि जेलों में मेडिकल स्टाफ के कितने स्वीकृत पद हैं, इन पदों में से कितने रिक्त हैं और इन रिक्त पदों को भरने के लिए सरकार के पास क्या योजना है।
TEAM VOICE OF PANIPAT