वायस ऑफ पानीपत (सोनम गुप्ता):- अब भी देश का कोई जवान शहीद होता है तो हम भारत माता के एक वीर के साथ साथ किसी परिवार एक चिराग, एक पिता, एक पति और ना जाने ऐसे कितने रिश्ते समेटे एक इंसान को भी खो देते है.. जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ के दौरान भी हमने सेना के ऐसे तीन जवानो को खो दिया जो देश के साथ साथ अपने परिवार के चिराग थे उनमें से एक जवान पानीपत का था.. जिनका नाम मेजर आशीष था .. गांव बिंझौल बुधवार के दिन उस समय दुख में डूब गया जब खबर आई कि गांव के लाल मेजर आशीष जम्मू- कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों से मुठभेड़ मे शहीद हो गए..

शहीद मेजर आशीष पानीपत के बिंझौल गांव के रहने वाले थे.. वह तीन बहनों के इकलौते भाई थे.. मेजर आशीष छह महीने पहले अपने साले की शादी के लिए छुट्टी लेकर घर आए थे.. उनके पिता और मां पानीपत के सेक्टर-7 में किराए के मकान में रहते है..आशीष 2013 में पहले ही प्रयास में एसएसबी की परीक्षा पास कर लेफ्टिनेंट बने.. आशीष बचपन से ही देश सेवा के लिए आर्मी मे जाना चाहते थे..

शहीद मेजर आशीष
आर्मी में जाने का सपना देखने वाले आशीष ने आज देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया.. मेजर आशीष एक ढाई साल की बेटी और अपनी पत्नी को छोड़ गए..पत्नी का नाम ज्योति और बेटी का नाम वामिका है.. मेजर आशीष की 2 साल पहले ही मेरठ से जम्मू में पोस्टिंग हुई थी.. मेजर आशीष अपने नए घर के गृह प्रवेश कार्यक्रम में 23 अक्टूबर को घर आने वाले थे.. उसी दिन उनका जन्मदिन था.. वह परिवार को अपने जन्मदिन पर आकर सरप्राइज देना चाहते थे..लेकिन होनी को कुछ ओर ही मंजूर था..

23 अक्टूबर 1987 को जन्म लेने वाले आशीष 1 जून 2013 को भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बने तो पूरे परिवार को उन पर फक्र हुआ..उनकी ट्रेनिंग देहरादून में हुई..पहली पोस्टिंग ही जम्मू कश्मीर में रही.. वे लंबे समय तक जम्मू में रहे.. इसके बाद उनकी दूसरी पोस्टिंग बठिंडा और तीसरी मेरठ में हुई.. दो साल पहले उनकी चौथी पोस्टिंग जम्मू कश्मीर में हुई थी.. जम्मू से अन्य स्थान पर दो साल बाद तबादला होना था..वही परिवार के सदस्यों ने बताया कि आशीष के चाचा का लड़का विकास उनसे 6 महीने पहले लेफ्टिनेंट बना था.. दोनों ने एसएसबी की परीक्षा एक साथ दी थी.. आशीष ने अपने चचेरे भाई विकास से पहले मेजर की पदोन्नति ली.. उनको हाल ही में सेवा मेडल मिला है.. यह मेडल किसी भी अधिकारी को अद्वितीय कार्य करने पर मिलता है..

वही आज सुबह जब आशीष के पार्थिव शरीर को पानीपत लाया गया तो लोगो का जनसैलाब उमड़ पड़ा..सेना के जवान के साथ-साथ महिलाएं, बच्चे और बाकी लोगो ने नम आंखो से मेजर आशीष को अंतिम विदाई दी..इस वक्त बहने भाई को सैल्यूट करती दिखी..तो मां अपने बेटे को कहती रही, ये तो मेरा लाल है..जो देश के लिए कुर्बान है..देखा ये गया कि जब उनका पार्थिव शरीर गांव बिंझौल पहुंचा तो वहा खड़ा हर शख्स रो रहा था.. सभी की जहां नम आंखे थी..वही मेजर आशीष पर गर्व भी था..कि उन्होने देश के खातिर अपनी जान कुर्बान कर दी..
TEAM VOICE OF PANIPAT