वायस ऑफ पानीपत (देवेंद्र शर्मा)- सतलोक आश्रम प्रकरण के दौरान आश्रम से भारी मात्रा में 408 गैस सिलिंडर मिलने के मामले में 6 साल 11 महीने बाद फैसला आया। जेएमआईसी सोनिया की अदालत ने आश्रम संचालक रामपाल को दोषी करार देते हुए तीन वर्ष कैद की सजा सुनाई। रामपाल पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
केस में 13 लोगों की गवाही व कुल 168 सुनवाई के बाद यह फैसला आया है इससे पहले ड्रग्स केस व सरकारी ड्यूटी में बाधा के केस में सुबूतों के अभाव में रामपाल बरी हो चुका है। रामपाल ने खुद की 72 साल उम्र और खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए कोर्ट से रहम करने की मांग की लेकिन राज्य सरकार ने कहा कि वह पहले ही हत्या के दो केसों में सजायाफ्ता है। इस सजा का रामपाल पर ज्यादा असर नहीं होगा क्योंकि वह हत्या के केस में आखिरी सांस तक की सजा में जेल में बंद है और यह सजा भी उसके साथ ही पूरी हो जाएगी।
बरवाला थाने में 28 नवंबर 2014 को आवश्यक वस्तु अधिनियम एक्ट व धोखाधड़ी की धारा के तहत केस दर्ज किया गया था। धोखाधड़ी की धारा में आश्रम संचालक रामपाल को बरी कर दिया। वहीं आवश्यक वस्तु अधिनियम एक्ट के तहत शुक्रवार को सजा सुनाई है। सतलोक आश्रम प्रकरण के दौरान आश्रम से वर्ष 2014 में 408 रसोई गैस सिलेंडर मिले थे। इनमें से 138 सिलेंडर भरे व बाकी खाली थे। इन सिलेंडर से संबंधित किसी प्रकार का दस्तावेज पेश नहीं मिले। डीएफएससी की शिकायत पर 28 नवंबर 2014 को आश्रम संचालक रामपाल के खिलाफ वस्तु अधिनियम की धारा के तहत व धोखाधड़ी की धारा के तहत बरवाला थाने में केस दर्ज किया गया था। डीएफएससी की शिकायत पर दर्ज एफआईआर में पुलिस ने आवश्यक वस्तु अधिनियम एक्ट के तहत व धोखाधड़ी की धारा के तहत केस दर्ज किया था।
27 नवंबर 2014 को टीम गठित कर सतलोक आश्रम का निरीक्षण किया गया था। आश्रम में से जांच के दौरान विभिन्न एजेंसियों के 408 सिलेंडर बरामद हुए थे। इनमें से 14.2 किलो के आईओसी के 134, एचपीसी कंपनी के चार सिलेंडर भरे मिले थे। इसके अतिरिक्त 270 सिलेंडर खाली मिले थे। इनमें 14.2 किलो के आईओसी कंपनी के 158 सिलेंडर, एचपीसी कंपनी के 33 सिलेंडर, मैक्स कंपनी के 17 सिलेंडर व भारती कंपनी का एक सिलेंडर बरामद हुआ था। इसके अलावा 19 किलो के आईओसी कंपनी के 51 सिलेंडर भी बरामद हुए थे। शिकायत में बताया गया था कि इन सिलेंडरों से संबंधित कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं हो सका था।
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