वायस ऑफ पानीपत (देवेंद्र शर्मा):- हरियाणा के पानीपत जिले के वक्फ बोर्ड के एस्टेट ऑफिसर के खिलाफ सिटी थाना पुलिस को शिकायत दी गई है। आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने अधिकारी पर प्रतिबंधित चाइनीज ऐप कैम स्कैनर का इस्तेमाल करने व भारत सरकार के गजट नोटिफिकेशन को अपनी कलम से कैंसिल करने के आरोप लगाए हैँ। मामले की शिकायत की प्रतियां गृह मंत्री अनिल विज को भी भेजी गई हैं। शिकायत में आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने वक्फ बोर्ड पानीपत के एस्टेट ऑफिसर मोइनुद्दीन काजी के खिलाफ तत्काल मुकद्दमा दर्ज करके उसे गिरफ्तार करने व नौकरी से बर्खास्त करने की मांग की है।

पीपी कपूर ने बताया कि उन्होंने आरटीआई से खुलासा किया था कि रेलवे रोड-गीता मन्दिर रोड पर खसरा नंबर 3605 की भूमि राजस्व रिकॉर्ड में गांव शामलात के नाम दर्ज है। कानून इस भूमि का मालिक नगर निगम है लेकिन वक्फ बोर्ड इस भूमि को करीब दो दर्जन दुकानदारों को किराए पर अलॉट करके बेवजह किराया वसूल रहा है। इसी के बारे में उनकी आरटीआई में वक्फ बोर्ड के एस्टेट ऑफिसर मोइनुद्दीन काजी ने उन्हें भारत सरकार के वर्ष 1984 के एक गजट नोटिफिकेशन की कॉपी को चाइनीज ऐप कैम स्कैनर इस्तेमाल करके आरटीआई के तहत दिया।

मोदी सरकार ने देश की सुरक्षा के मद्देनजर पिछले वर्ष से चाइनीजा ऐप के इस्तेमाल पर बैन लगा रखा है। इस ऐप के इस्तेमाल पर आईटी एक्ट 2000 के सेक्शन 69 ए की उल्लघंना के जुर्म में 7 वर्ष की सजा का प्रावधान है। कपूर ने कहा कि एस्टेट ऑफिसर ने भारत सरकार के इस गजट नोटिफिकेशन को अपनी कलम व मोहर से कैंसिल करके भारत के कानून व संविधान की अवमानना का जुर्म भी किया है। मुख्य सूचना आयुक्त यशपाल सिंघल ने इस अधिकारी के खिलाफ जुर्माने का शोकॉज नोटिस जारी कर इसे 24 फरवरी को चंडीगढ़ भी तलब किया है। कपूर ने एस्टेट ऑफिसर को जिला प्रशासन द्वारा गणतंत्र दिवस पर दिया गया सम्मान पत्र तत्काल वापिस लेने व इसे गिरफ्तार करके नौकरी से बर्खास्त करने की मांग की है।

डीएसपी सिटी वीरेंद्र सिंह ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है | डीएसपी ने जांच उपरांत जांच अधिकारी धर्मेंद्र को आदेश किए कि वे मौका पर जा कर फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी करें व किराएदारों के बयान लें। इसके इलावा सोमवार को वक्फ बोर्ड के एस्टेट ऑफिसर को तलब करते हुए उनसे रिपोर्ट मांगी। इसके तहत आज तक इस भूमि पर किराएदारों से वसूले गए किराए की धनराशि की सूचना देने के बारे में पूछा गया है। साथ ही पूछा गया है कि साल 1984 के गजट नोटिफिकेशन को आज तक राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज क्यों नहीं करवाया गया है ।