सचित्र /स्मृति दिवस पर विशेष
लेखक, साहित्यकार, चिन्तक के रूप में स्वर्गीय राज धरणी सागर ने
सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ अपनी लेखनी के माध्यम से चेतना लाने के अथक प्रयास किये
चंडीगढ़
सुप्रसिद्ध इतिहासकार, साहित्यकार, लेखक, समकालीन विश्लेषक व काव्य संग्रह में अमित छाप छोडने वाले राजकुमार धरणी (जिनका साहित्यक नाम राज धरणी सागर था) की आज 81 वी जन्म तिथि रूपी स्मृति दिवस है । राज कुमर धरणी ज़ी का निधन 74 वर्ष की आयु में हुआ था । ,स्वर्गीय राज कुमर धरणी ज़ी हरीयाणा शिक्षा विभाग में बतौर एस एस के मास्टर व उप प्रधानाचार्य रिटायर हुए थे , धरनी क़ी गिनती प्रसिद् लेख़क ,कहानीकार व सहित्यकारो में होती रहीं है , पंजाब केसरी में अमर शहिद लाला जगत नारयण के सानिध्य में उनके कॉफ़ी लेख ,कहानिया ,काव्य प्रकाशित हूए थे ,पंजाब केसरी में उन दिनों चलायी गयी संस्था तरुण संगम व् वीर प्रताप की संस्था बालो -उद्द्यान के हरियाणा पंजाब ,हिमाचल के सयोंजक के रूप में इन्होने संचालन किया व् सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध जहाँ अपनी कलम के माध्यम से आवाज उठाई वहीं इन संस्थाओं के माध्यम से जन चेतना भी पैदा की ।
राज धरणी सागर के ज्येष्ठ पुत्र चंद्र शेखर धरणी चंडीगढ़ हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकारों की श्रेणी में आते हैं |
स्व. राज धरणी सागर को साहित्य का एक अद्भुत कुंज बताते हुए कहा कि समय-समय पर अपनी लेखनी के माध्यम से जहां इन्होंने समाज को मार्ग प्रशस्त किया वहीं शिक्षाविद् होने के नाते सेवानिवृति के बाद बच्चों को साक्षर बनाने के लिए निःशुल्क स्कूल चलाना इनका एक ऐतिहासिक व अद्भुत कदम था। विज का कहना है कि सागर ने सेवा निवृति उपरांत मिले धन को अपने परिवार में ना लगाकर गरीब बच्चों को साक्षर करने में लगाया। विज ने कहा है कि राजकुमार धरणीअधिकांश सेवाकाल ग्रामीण अंचल में बिताया। उन्होंने अध्यापक के आदर्श को चरितार्थ किया। वे सरलता, त्याग, सादगी व समाज सेवा में समर्पित रहे। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ अपनी लेखनी के माध्यम से चेतना लाने के अथक प्रयास किये।
घरौंडा से विधायक हरविन्दर कल्याण ने कहा है कि स्वतंत्रता सेनानी शामलाल धरणी के ज्येष्ठ सुपुत्र राजकुमार धरणी ने पानीपत, मलेर कोटला व अमृतसर में शिक्षा लेेने के बाद 1966 में हरियाणा गठन के बाद हरियाणा के अंदर शिक्षा विभाग में बतौर एसएस मास्टर सरकारी नौकरी में कदम रखा था। वे पंजाब के अमर शहीद डॉ0 कालीचरण शर्मा के दोहते थे। राजकुमार धरणी जिनका साहित्यक नाम राज धरणी सागर रहा ने 40 के करीब उपन्यास लिखे जो विभिन्न दैनिक समाचार पत्रों में क्रमवार प्रकाशित होते रहे। सात हजार से अधिक समकालीन कविताएं, अनेकों आलेख लिखे, जो कि विभिन्न समाचार पत्रों मे प्रकाशित होते रहे।
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